Hindi Grammar (सीखे बहुत आसान भाषा में) | Hindi Vyakaran

Hindi Grammar (सीखे बहुत आसान भाषा में) | Hindi Vyakaran

Hindi Grammar ( हिन्दी व्याकरण ):- हम आपको यहां पर हिन्दी व्याकरण (Hindi Vyakaran) की सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है जो कि सभी प्रतियोगी परिक्षा कि दृष्टि से बहुत ही जरुरी हैं । और आपको यहा पर हिन्दी व्याकरण से जुड़ी हूई सभी जानकारी बहुत ही आसान भाषा में मिलने वाली हैं जिसको आप एक बार पूरा जरूर पढ़े जिससे की आपकी Hindi Grammar ( हिन्दी व्याकरण ) से जुड़े हुए सभी प्रश्नो का जावाब मिल सके।

Hindi Grammar ( हिन्दी व्याकरण ) क्या हैं?

व्याकरण (Grammar) की परिभाषा:- व्याकरण वह विद्या है जिसके द्वारा हमे किसी भाषा का शुद्ध बोलना, लिखना एवं समझना आता है।

भाषा की संरचना के ये नियम सीमित होते हैं और भाषा की अभिव्यक्तियाँ असीमित। एक-एक नियम असंख्य अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करता है। भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है उस शास्त्र को व्याकरण कहते हैं।

वस्तुतः व्याकरण भाषा के नियमों का संकलन और विश्लेषण करता है और इन नियमों को स्थिर करता है। व्याकरण के ये नियम भाषा को मानक एवं परिनिष्ठित बनते हैं। व्याकरण स्वयं भाषा के नियम नहीं बनाता। एक भाषाभाषी समाज के लोग भाषा के जिस रूप का प्रयोग करते हैं, उसी को आधार मानकर वैयाकरण व्याकरणिक नियमों को निर्धारित करता है। अतः यह कहा जा सकता है कि-

व्याकरण वह शास्त्र है, जिसके द्वारा भाषा का शुद्ध मानक रूप निर्धारित किया जाता है।

व्याकरण के अंग :

व्याकरण हमें भाषा के बारे में जो ज्ञान कराता है उसके तीन अंग हैं- ध्वनि, शब्द और वाक्य।
व्याकरण में इन तीनों का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जाता है-

(1) ध्वनि-विचार

(2) पद-विचार

(3) वाक्य-विचार

व्याकरण के प्रकार

(1) वर्ण या अक्षर
(2) शब्द
(3)वाक्य

(1) वर्ण या अक्षर:-
भाषा की उस छोटी ध्वनि (इकाई )को वर्ण कहते है जिसके टुकड़े नही किये सकते है।
जैसे –अ, ब, म, क, ल, प आदि।

(2) शब्द:-
वर्णो के उस मेल को शब्द कहते है जिसका कुछ अर्थ होता है।
जैसे- कमल, राकेश, भोजन, पानी, कानपूर आदि।

(3) वाक्य:-
अनेक शब्दों को मिलाकर वाक्य बनता है। ये शब्द मिलकर किसी अर्थ का ज्ञान कराते है।
जैसे- सब घूमने जाते है।
राजू सिनेमा देखता है।

हिन्दी व्याकरण की विशेषताएँ

हिन्दी-व्याकरण संस्कृत व्याकरण पर आधृत होते हुए भी अपनी कुछ स्वतंत्र विशेषताएँ रखता है। हिन्दी को संस्कृत का उत्तराधिकार मिला है। इसमें संस्कृत व्याकरण की देन भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। पं० किशोरीदास वाजपेयी ने लिखा है कि ”हिन्दी ने अपना व्याकरण प्रायः संस्कृत व्याकरण के आधार पर ही बनाया है- क्रियाप्रवाह एकान्त संस्कृत व्याकरण के आधार पर है, पर कहीं-कहीं मार्गभेद भी है। मार्गभेद वहीं हुआ है, जहाँ हिन्दी ने संस्कृत की अपेक्षा सरलतर मार्ग ग्रहण किया है।”

ध्वनि और लिपि

ध्वनि-

ध्वनियाँ मनुष्य और पशु दोनों की होती हैं। कुत्ते का भूँकना और बिल्ली का म्याऊँ-म्याऊँ करना पशुओं के मुँह से निकली ध्वनियाँ हैं। ध्वनि निर्जीव वस्तुओं की भी होती है; जैसे- जल का वेग, वस्तु का कम्पन आदि।

व्याकरण में केवल मनुष्य के मुँह से निकली या उच्चरित ध्वनियों पर विचार किया जाता है। मनुष्यों द्वारा उच्चरित ध्वनियाँ कई प्रकार की होती हैं। एक तो वे, जो मनुष्य के किसी क्रियाविशेष से निकलती हैं; जैसे- चलने की ध्वनि।

दूसरी वे ध्वनियाँ हैं, जो मनुष्य की अनिच्छित क्रियाओं से उत्पत्र होती है; जैसे- खर्राटे लेना या जँभाई लेना। तीसरी वे हैं, जिनका उत्पादन मनुष्य के स्वाभाविक कार्यों द्वारा होता है; जैसे- कराहना। चौथी वे ध्वनियाँ हैं, जिन्हें मनुष्य अपनी इच्छा से अपने मुँह से उच्चरित करता है। इन्हें हम वाणी या आवाज कहते हैं।

पहली तीन प्रकार की ध्वनियाँ निरर्थक हैं। वाणी सार्थक और निरर्थक दोनों हो सकती है। निरर्थक वाणी का प्रयोग सीटी बजाने या निरर्थक गाना गाने में हो सकता है। सार्थक वाणी को भाषा या शैली कहा जाता है। इसके द्वारा हम अपनी इच्छाओं, धारणाओं अथवा अनुभवों को व्यक्त करते हैं। बोली शब्दों से बनती है और शब्द ध्वनियों के संयोग से।

यद्यपि मनुष्य की शरीर-रचना में समानता है, तथापि उनकी बोलियों या भाषाओं में विभित्रता है। इतना ही नहीं, एक भाषा के स्थानीय रूपों में भी अन्तर पाया जाता है। पर पशुओं की बोलियों में इतना अन्तर नहीं पाया जाता। मनुष्य की भाषा की उत्पत्ति मौखिक रूप से हुई। भाषाओं के लिखने की परिपाटी उनके निर्माण के बहुत बाद आरम्भ हुई। यह तब हुआ, जब मनुष्य को अपनी भावनाओं, विचारों और विश्र्वासों को सुरक्षित रखने की प्रबल इच्छा महसूस हुई।

आरम्भ में लिखने के लिए वाक्यसूचक चिह्नों से काम लिया गया और क्रमशः शब्दचिह्न और ध्वनिचिह्न बनने के बाद लिपियों का निर्माण हुआ। चिह्नों में परिवर्तन होते रहे। वर्तमान लिपियाँ चिह्नों के अन्तिम रूप हैं। पर, यह कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ है। उदाहरण के लिए, वर्तमान काल में हिन्दी लिपि में कुछ परिवर्तन करने का प्रयत्न किया जा रहा है। हिन्दी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती। है इसके अपने लिपि-चिह्न हैं।

Note:-आज हम आपको यहां पर हिन्दी व्याकरण से जुडे़ हुए सभी Topics के बारें में बातायेगें । अगर आप किसी प्रतियोगी परिक्षा कि तैयारी कर रहें हैं तो आप सभी के लिए आज का यह पोस्ट बहुत ही जरुरी हैं । जिसको आप एक बार जरूर पढ़े।

हिन्दी व्याकरण

👉 रचना के आधार पर संज्ञा के भेद – 3
👉 संधि के भेद – 3
👉 स्वर संधि के भेद – 5
👉 समास के भेद – 6
👉 तत्पुरुष समास के भेद – 6
👉 कारक के प्रकार – 8
👉 वचन कितने प्रकार के है – 2
👉 लिंग के प्रकार – 2
👉 काल के भेद – 3
👉 विशेषण के भेद – 4
👉 सर्वनाम के भेद – 6
👉 क्रिया विशेषण के भेद – 4
👉 क्रिया के प्रकार – 2
👉 छंद के प्रकार – 2
👉 अलंकार के प्रकार – 3
👉 रस कितने प्रकार के होते है – 9
👉 शब्द शक्ति के प्रकार – 3
👉 वाक्य के घटक होते है – 2
👉 वर्णों की संख्या – 52
👉 व्यंजन वर्णों की संख्या – 33
👉 संचारीभाव की संख्या – 33
👉 सात्विक भाव की संख्या – 8
👉 विभाव के भेद – 2
👉 काव्य के भेद – 2
👉 वेद कितने है – 4
👉 वेदांग कितने है – 6
👉 पुराण कितने है – 18
👉 बौद्धों के धर्म-ग्रन्थ – 3
👉 संगीत-स्वर के भेद – 3
👉 नायिका के भेद – 3
👉 नायक के भेद – 4
👉 श्रृंगार के भेद – 2
👉 हास्य के भेद – 6
👉 वीर-रस के भेद – 3
👉 काव्य के गुण – 3
👉 विद्याएँ -18
👉 विवाह प्रकार – 8
👉 माताएँ – 7
👉 रत्न के प्रकार – 9
👉 राशियाँ – 12
👉 दिन-रात के पहर – 8
👉 वायु के प्रकार – 5
👉 अग्नियाँ – 3
👉 गुण के प्रकार – 3
👉 शारीरिक दोष – 3
👉 लोक – 3
👉 ऋण के प्रकार – 3
👉 ताप – 3
👉 युग – 4
👉 पुरुषार्थ – 4
👉 वर्ण – 4
👉 दंड के प्रकार – 4
👉 शत्रु – 6
👉 संहिताएँ – 4
👉 भारतीय व्यक्ति-जीवन के संस्कार – 16
👉 ईश्वर के रूप – 2(सगुण, निर्गुण)
👉 भाषा के प्रकार – 2
👉 मूल स्वर के भेद – 3
👉 व्यंजनों के प्रकार – 3
👉 स्पर्श व्यंजन होते है – 25
👉 उष्म व्यंजन होते है – 4
👉 संयुक्त व्यंजन – 4
👉 वर्णों की मात्राएँ होती है – 10
👉 कंठ्य वर्णों की संख्या – 9
👉 तालव्य वर्णों की संख्या – 9
👉 प्रयोग की दृष्टि से शब्द-भेद – 2
👉 विकारी शब्द के प्रकार – 4
👉 अविकारी शब्द के प्रकार – 4
👉 उत्पति की दृष्टि से शब्द-भेद – 4
👉 व्युत्पत्ति या रचना की दृष्टि से शब्द भेद – 3
👉 वाक्य के भेद- अर्थ के आधार पर – 8
👉 वाक्य के भेद- रचना के आधार पर – 3
👉 विधेय के भाग – 6
👉 सर्वनाम की संख्या – 11
👉 प्रत्यय के भेद – 2
👉 रस के अंग – 4?
👉 अनुभाव के भेद – 4
👉 स्थायी भाव के प्रकार – 9
👉 श्रृंगार रस के प्रकार – 2
👉 संज्ञा के भेद – 5
👉 रचना के आधार पर संज्ञा के भेद – 3
👉 संधि के भेद – 3
👉 स्वर संधि के भेद – 5
👉 समास के भेद – 6
👉 तत्पुरुष समास के भेद – 6
👉 कारक के प्रकार – 8
👉 वचन कितने प्रकार के है – 2
👉 लिंग के प्रकार – 2
👉 काल के भेद – 3
👉 विशेषण के भेद – 4
👉 सर्वनाम के भेद – 6
👉 क्रिया विशेषण के भेद – 4
👉 क्रिया के प्रकार – 2
👉 छंद के प्रकार – 2
👉 अलंकार के प्रकार – 3
👉 रस कितने प्रकार के होते है – 9
👉 शब्द शक्ति के प्रकार – 3
👉 वाक्य के घटक होते है – 2
👉 वर्णों की संख्या – 52
👉 व्यंजन वर्णों की संख्या – 33
👉 संचारीभाव की संख्या – 33
👉 सात्विक भाव की संख्या – 8
👉 विभाव के भेद – 2
👉 काव्य के भेद – 2
👉 वेद कितने है – 4
👉 वेदांग कितने है – 6
👉 पुराण कितने है – 18
👉 बौद्धों के धर्म-ग्रन्थ – 3
👉 संगीत-स्वर के भेद – 3
👉 नायिका के भेद – 3
👉 नायक के भेद – 4
👉 श्रृंगार के भेद – 2
👉 हास्य के भेद – 6
👉 वीर-रस के भेद – 3
👉 काव्य के गुण – 3
👉 विद्याएँ -18
👉 विवाह प्रकार – 8
👉 माताएँ – 7
👉 रत्न के प्रकार – 9
👉 राशियाँ – 12
👉 दिन-रात के पहर – 8
👉 वायु के प्रकार – 5
👉 अग्नियाँ – 3
👉 गुण के प्रकार – 3
👉 शारीरिक दोष – 3
👉 लोक – 3
👉 ऋण के प्रकार – 3
👉 ताप – 3
👉 युग – 4
👉 पुरुषार्थ – 4
👉 वर्ण – 4
👉 दंड के प्रकार – 4
👉 शत्रु – 6
👉 संहिताएँ – 4
👉 भारतीय व्यक्ति-जीवन के संस्कार – 16
👉 ईश्वर के रूप – 2(सगुण, निर्गुण)
👉 भाषा के प्रकार – 2
👉 मूल स्वर के भेद – 3
👉 व्यंजनों के प्रकार – 3
👉 स्पर्श व्यंजन होते है – 25
👉 उष्म व्यंजन होते है – 4
👉 संयुक्त व्यंजन – 4
👉 वर्णों की मात्राएँ होती है – 10
👉 कंठ्य वर्णों की संख्या – 9
👉 तालव्य वर्णों की संख्या – 9
👉 प्रयोग की दृष्टि से शब्द-भेद – 2
👉 विकारी शब्द के प्रकार – 4
👉 अविकारी शब्द के प्रकार – 4
👉 उत्पति की दृष्टि से शब्द-भेद – 4
👉 व्युत्पत्ति या रचना की दृष्टि से शब्द भेद – 3
👉 वाक्य के भेद- अर्थ के आधार पर – 8
👉 वाक्य के भेद- रचना के आधार पर – 3
👉 विधेय के भाग – 6
👉 सर्वनाम की संख्या – 11
👉 प्रत्यय के भेद – 2
👉 रस के अंग – 4?
👉 अनुभाव के भेद – 4
👉 स्थायी भाव के प्रकार – 9
👉 श्रृंगार रस के प्रकार – 2
👉 नाटक में रस – 8

हिन्दी भाषा ( भाषा किसे कहते हैं?)

भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है। दूसरे शब्दों में- जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ … Read more

हिन्दी वर्णमाला, वर्ण की पूरी जानकारी

Hindi Varnmala हिन्दी वर्णमाला, वर्ण (Alphabet) की परिभाषा- वर्ण- वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते। जैसे- अ, ई, व, च, क, ख् इत्यादि। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है, इसके और खंड नहीं किये जा सकते। उदाहरण द्वारा मूल ध्वनियों को यहाँ स्पष्ट किया जा … Read more

Viram chinh (विराम चिन्ह)

Viram chinh (विराम चिन्ह) (Punctuation Mark) की परिभाषा:- भित्र-भित्र प्रकार के भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग वाक्य के बीच या अंत में किया जाता है, उन्हें ‘Viram chinh (विराम चिन्ह)‘ कहते है। दूसरे शब्दों में- विराम का अर्थ है – ‘रुकना’ या ‘ठहरना’ । वाक्य को लिखते अथवा … Read more

Karak (कारक)

Karak (कारक) किसे कहते हैं:- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका (संज्ञा या सर्वनाम का) सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) ‘Karak (कारक)‘ कहते हैं। अथवा- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उनका (संज्ञा या सर्वनाम का) क्रिया से सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप … Read more

Avyay(अव्यय)

Avyay(अव्यय) (Indeclinable) की परिभाषा:-जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नही होता है उन्हें अव्यय (अ +व्यय) या अविकारी शब्द कहते है । इसे हम ऐसे भी कह सकते है- ‘अव्यय’ ऐसे शब्द को कहते हैं, जिसके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र … Read more

Alankar (अलंकार)

Alankar अलंकार (Figure of speech) की परिभाषा– जो किसी वस्तु को अलंकृत करे वह अलंकार कहलाता है। दूसरे अर्थ में- काव्य अथवा भाषा को शोभा बनाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते है। संकीर्ण अर्थ में- काव्यशरीर, अर्थात् भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित तथा सुन्दर बनानेवाले चमत्कारपूर्ण मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते है। अलंकार का … Read more

Sarvanam (सर्वनाम)

सर्वनाम (Pronoun) की परिभाषा(sarvanam kise kahate hain):- जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है। दूसरे शब्दों में- सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते है, जो पूर्वापरसंबध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है। सरल शब्दों में- सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते है, उन्हें … Read more

Sangya (संज्ञा)

Sangya (संज्ञा) की परिभाषा:- संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है। दूसरे शब्दों में- किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है। जैसे- प्राणियों के नाम- मोर, घोड़ा, अनिल, किरण, जवाहरलाल नेहरू आदि। वस्तुओ … Read more

kriya (क्रिया)

क्रिया (Verb) की परिभाषा:-जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय, उसे क्रिया कहते है। जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना इत्यादि। ‘क्रिया’ का अर्थ होता है- करना। प्रत्येक भाषा के वाक्य में क्रिया का बहुत महत्त्व होता है। प्रत्येक वाक्य क्रिया से ही पूरा होता है। क्रिया किसी कार्य के करने या … Read more

Visheshan (विशेषण)

Visheshan (विशेषण) किसे कहते हैं:- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताते है उन्हें visheshan (विशेषण) किसे कहते हैं कहते है। इसे हम ऐसे भी कह सकते है- जो किसी संज्ञा की विशेषता (गुण, धर्म आदि )बताये उसे विशेषण कहते है। दूसरे शब्दों में- विशेषण एक ऐसा विकारी शब्द है, जो हर हालत … Read more

Upsarg ( उपसर्ग )

Upsarg ( उपसर्ग ) किसे कहते हैं:- उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते है, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है। दूसरे शब्दों में – जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़ कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते है, वे उपसर्ग ( Upsarg ) कहलाते है। जैसे- प्रसिद्ध, … Read more

Samas (समास)

Samas (समास) की परिभाषा– अनेक शब्दों को संक्षिप्त करके नए शब्द बनाने की प्रक्रिया समास कहलाती है। दूसरे अर्थ में- कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक अर्थ प्रकट करना ‘Samas (समास)’ कहलाता है। अथवा, दो या अधिक शब्दों (पदों) का परस्पर संबद्ध बतानेवाले शब्दों अथवा प्रत्ययों का लोप होने पर उन दो या अधिक शब्दों से जो … Read more

Ras in hindi (रस)

Ras in hindi (रस) की परिभाषा:- रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनंद’। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे ‘रस’ कहा जाता है। भोजन रस के बिना यदि नीरस है, औषध रस के बिना यदि निष्प्राण है, तो साहित्य भी रस के बिना निरानंद है। यही रस साहित्यानंद को ब्रह्मानंद-सहोदर बनाता है…..Read more

Chhand kise kahate hain ( छंद )

Chhand kise kahate hain ( छंद ) परिभाषा :- वर्णो या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आहाद पैदा हो, तो उसे Chhand (छंद) कहते है। दूसरे शब्दो में-अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रागणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना ‘छन्द‘ कहलाती है…. Read more

Padbandh ( पदबंध )

पदबंध- जब दो या अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्र्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो उन्हें पदबंध कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- कई पदों के योग से बने वाक्यांशो को, जो एक ही पद का काम करता है, ‘पदबंध’ कहते है… Read more

Pratyay kise kahate hain (प्रत्यय)

Pratyay kise kahate hain (प्रत्यय):- प्रत्यय उस शब्दांश को कहते है, जो किसी शब्द के अन्त में जुड़कर उस शब्द के भिन्न अर्थ को प्रकट करता है। दूसरे अर्थ में-शब्दों के बाद जो अक्षर या अक्षर समूह लगाया जाता है, उसे प्रत्यय कहते है।
जैसे- ‘भला’ शब्द में ‘आई’ प्रत्यय लगाकर ‘भलाई’ शब्द बनता है। …Read more

Vachan kise kahate hain ( वचन )

Vachan kise kahate hain ( वचन ):-शब्द के जिस रूप से एक या एक से अधिक का बोध होता है, उसे हिन्दी व्याकरण में ‘वचन‘ कहते है।दूसरे शब्दों में– संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध हो, उसे ‘वचन‘ कहते है।…Read more

पर्यायवाची शब्द 500+

Paryayvachi shabd in hindi ( पर्यायवाची शब्द ):- ऐसे शब्द जिनके अर्थ समान हों, पर्यायवाची (Synonym) शब्द कहलाते हैं। इसे हम ऐसे भी कह सकते है- जिन शब्दों के अर्थ में समानता हो, उन्हें ‘पर्यायवाची शब्द’ कहते है। …Read More

Vilom Shabd ( विलोम शब्द ) 500+

Vilom Shabd ( विलोम शब्द ):- विलोम का अर्थ होता है उल्टा। जब किसी शब्द का उल्टा या विपरीत अर्थ दिया जाता है उस शब्द को विलोम शब्द कहते हैं ।Vilom shabd kise kahate hain – दूसरे के विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं। इसे विपरीतार्थक शब्द भी कहते हैं। …Read More

शब्द किसे कहते हैं?

Shabd kise kahate hain ( शब्द किसे कहते हैं ):- एक या एक से अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द है। जैसे- एक वर्ण से निर्मित शब्द- न (नहीं) व (और) अनेक वर्णों से निर्मित शब्द-कुत्ता, शेर, कमल, नयन, प्रासाद, सर्वव्यापी, परमात्मा आदि। …Read More

मुहावरा

Muhavare in hindi ( मुहावरा ):- ऐसे वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराये, मुहावरा कहलाता है।  दूसरे शब्दों में- मुहावरा भाषा विशेष में प्रचलित उस अभिव्यक्तिक इकाई को कहते हैं, जिसका प्रयोग प्रत्यक्षार्थ से अलग रूढ़ लक्ष्यार्थ के लिए किया जाता है।…Read More

काल

Kal kise kahate hain ( काल ):- काल का अर्थ होता है- समय। क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने के समय का पता चले उसे काल कहते हैं।दूसरे शब्दों में कार्य- व्यापार का समय और उसकी पूर्ण और अपूर्ण अवस्था के ज्ञान के रूपांतरण को काल कहते हैं।…Read More

Anekarthi shabd ( अनेकार्थी शब्द )

Anekarthi shabd ( अनेकार्थी शब्द ) किसे कहते हैं:-एक से अधिक अर्थ प्रदान करने वाले शब्दों को Anekarthi shabd ( अनेकार्थी शब्द ) कहते हैं. इन शब्दों का प्रसंग बदलने पर अलग-अलग अर्थ निकलता हैं.…Read More

Tatsam Tatbhav Shabd ( तत्सम-तद्भव शब्द )

Tatsam shabd kise kahate hain (तत्सम शब्द)- हिन्दी भाषा का विकास संस्कृत भाषा से हुआ है। अतः इसी भाषा से सीधे शब्द हिन्दी में आये हैं। इन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। …Read More

kriya visheshan ( क्रिया विशेषण )

kriya visheshan ( क्रिया विशेषण ) परिभाषा:- जिन शब्दों के कारण क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे kriya visheshan ( क्रिया विशेषण ) कहते हैं।…Read More

vachya ( वाच्य )

Vachya ( वाच्य ) की परिभाषा:- क्रिया के उस परिवर्तन को vachya ( वाच्य ) कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है। इनमें किसी के अनुसार क्रिया के पुरुष, वचन आदि आए हैं।…Read More

लिंग

Ling in hindi ( लिंग ):-“संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की नर या मादा जाति का बोध हो, उसे व्याकरण में ‘लिंग’ कहते है। दूसरे शब्दों में-संज्ञा शब्दों के जिस रूप से उसके पुरुष या स्त्री जाति होने का पता चलता है, उसे लिंग कहते है। सरल शब्दों में- शब्द की जाति…Read More

निबन्ध-लेखन

Essay writing in hindi ( निबन्ध-लेखन ) :-निबन्ध- अपने मानसिक भावों या विचारों को संक्षिप्त रूप से तथा नियन्त्रित ढंग से लिखना ‘निबन्ध’ कहलाता है। निबन्ध लिखना भी एक कला हैं। इसे विषय के अनुसार छोटा या बड़ा लिखा जा सकता है।…Read More

हिंदी के वाक्यांशों के लिए एक शब्द

Anek shabdon ke ek shabd:- हिंदी शब्दों में वाक्यांशों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग कर सकते हैं। अथार्त हिंदी भाषा में कई शब्दों की जगह पर एक शब्द बोलकर भाषा को प्रभावशाली बनाया जा सकता है। हिंदी भाषा में अनेक शब्दों में एक शब्द का प्रयोग करने से वाक्य के भाव को पता लगाया जा सकता है।…Read More

संधि विच्छेद

Sandhi kise kahate hain ( परिभाषा ):-जब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि आपस में मिलकर जो परिवर्तन लाती हैं उसे संधि ( Sandhi ) कहते हैं। …Read More

 वाक्य

Vakya kise kahate hain ( वाक्य ):-पदो या शब्दो का ऐसा समूह जिसका एक पूर्ण रूप एवं एक सार्थक अर्थ , स्पष्ट होता हो तो वाक्य ( Vakya ) कहतलाता हैं। …Read More

पद परिचय

Pad Parichay (पद-परिचय):- शब्द और पद -वाक्य से अलग रहनेवाले शब्दों को ‘शब्द’ कहते हैं, किंतु जब वे किसी वाक्य में पिरो दिए जाते हैं, तव ‘पद’ कहलाते हैं। जब वाक्य के अंतर्गत शब्दों मे विभिक्तियाँ लगती है, तब वे ‘पद’ बन जाते हैं। ‘पद’ अर्थ संकेतित करता है। ‘शब्द’ सार्थक और निरर्थक दोनों हो …Read More

 पत्र लेखन

Hindi Patra Lekhan ( पत्र लेखन ):-  मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे प्रतिदिन सामाजिक व्यवहार सम्बन्धी दायित्वों का निर्वहन करने हेतु कितने ही व्यक्तियों, सम्बन्धियों, कार्यालयों से सम्पर्क साधना होता है। हर स्थान पर वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सकता। …Read More

हिन्दी मात्रा

Hindi Matra (हिन्दी मात्रा ):- आज हम आपको हिन्दी भाषा के हिन्दी मात्राओं के बारे में बतायेगें और समझायेगें । हन्दी भाषा को बोलने और लिखने के लिए Hindi Matra (हिन्दी मात्रा ) का सही ज्ञान होना बहुत ही जरूरी होता हैं। और किसी बच्चे के लिए बहुत ही जरुरी होता है।… Read More

स्वर

Swar in hindi:- स्वर यह हमारे हिन्दी व्याकरण का अभिन्य अंग हैं । जिसके बिना पूरा हिन्दी व्याकरण अधूरा हैं। स्वरो के बिना हम बोल चाल भी नही सकते हैं। इससे यह पता चलता हैं कि स्वर ( Swar ) …… Read More

व्यंजन

Vyanjan ( व्यंजन ):- व्यंजन वे हैं, जिनका उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ की ध्वनि छिपी रहती है। ‘अ’ के बिना व्यंजन का उच्चारण संभव नहीं, जैसे-क् + अ = क, ख + अ = ख। व्यंजन वह ध्वनि है, जिसके उच्चारण …Read More

संधि

Sandhi- सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है ‘मेल’ या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। संस्कृत, हिन्दी एवं …Read More

Pad Parichay ( पद परिचय ) परिभाषा, प्रकार , उदाहरण

Ling in hindi ( लिंग ), परिभाषा, भेद , उदाहरण Hindi GrammarRead More »

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