Vakya kise kahate hain ( वाक्य ) Bhed, परिभाषा, प्रकार

Vakya kise kahate hain ( वाक्य ) Bhed, परिभाषा, प्रकार

Vakya kise kahate hain ( वाक्य ):-पदो या शब्दो का ऐसा समूह जिसका एक पूर्ण रूप एवं एक सार्थक अर्थ , स्पष्ट होता हो तो वाक्य ( Vakya ) कहतलाता हैं।

दूसरे शब्दो में: शब्दों के सार्थक मेल से बनने वाली इकाई वाक्य ( Vakya ) कहलाती है।

Vakya ke bhed ( वाक्य के भेंद, अंग, प्रकार )

वाक्य के दो भेद होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:-

1-अर्थ के आधार पर वाक्य भेद ( Arth ke aadhar par vakya bhed )

2-रचना के आधार पर वाक्य भेद ( Rachna ke aadhar par vakya bhed )

1-अर्थ के आधार पर वाक्य भेद ( Arth ke aadhar par vakya bhed )

अर्थ के आधार पर वाक्य के 8 भेद होते  हैं जो कि निम्न हैं-

1-विधान वाचक वाक्य
2- निषेधवाचक वाक्य
3- प्रश्नवाचक वाक्य
4- विस्मयादिवाचक वाक्य
5- आज्ञावाचक वाक्य
6- इच्छावाचक वाक्य
7-संकेतवाचक वाक्य
8-संदेहवाचक वाक्य

1-विधान वाचक वाक्य:-जिन वाक्यों में किसी क्रिया के करने या होने का सामान्य रूप बोध हो, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते हैं।

उदाहरण ( Examples )

  1. सूर्य गर्मी देता है।
  2. वह शिमला गया होगा।
  3. भारत हमारा देश है।
  4. वह बालक है।
  5. हिमालय भारत के उत्तर दिशा में स्थित है।
  6. राम ने खाना का लीया|
  7. गुंजन ने गाना गाया।
Note:-उपरोक्त वाक्योँ में सूर्य का गर्मी देना, हिन्दी का आधिकारिक भाषा होना आदि कार्य हो रहे हैं और किसी के (देश तथा बालक) होने का बोध हो रहा है।

2- निषेधवाचक वाक्य:- जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं।

उदाहरण ( Examples )

1-मैंने दूध नहीं पिया।
2-मैंने खाना नहीं खाया।
3-राधा कुछ न कर सकी।
4-झूठ मत बोलो।

3- प्रश्नवाचक वाक्य:- वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार प्रश्न किया जाता है, वह प्रश्नवाचक वाक्य कहलाता है।

उदाहरण ( Examples )

1-भारत क्या है?
2-श्रीराम के पिता कौन थे?
3-दशरथ कहाँ के राजा थे?
4- आप कल कहाँ गये थे?
5- उस मकान में कौन रहता है?

4- विस्मयादिवाचक वाक्य:- वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की गहरी अनुभूति का प्रदर्शन किया जाता है, वह विस्मयादिवाचक वाक्य कहलता है।

उदाहरण ( Examples )

1-अहा! कितना सुन्दर उपवन है।
2-ओह! कितनी ठंडी रात है।
3-बल्ले! हम जीत गये।
4- हाय !  कितनी गरमी हैं।
5- अरे !  इतना लम्बा साँप।

5- आज्ञावाचक वाक्य:- वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार की आज्ञा दी जाती है या प्रार्थना किया जाता है, वह आज्ञावाचक वाक्य कहलाता है।

उदाहरण ( Examples )

1-बैठो।
2-बैठिये।
3-कृपया बैठ जाइये।
4-शांत रहो।
5-कृपया शांति बनाये रखें।
6- तुम जा सकते हो।
7-बड़ो का आदर करो।

6- इच्छावाचक वाक्य:-जिन वाक्यों से किसी इच्छा, आशा, आशीर्वाद या शुभकामना का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।

उदाहरण ( Examples )

  1. भगवान तुम्हें दीर्घायु करे।
  2. नववर्ष मंगलमय हो।
  3. ईश्वर करे, सब कुशल लौटें।
  4. दूधोँ नहाओ, पूतोँ फलो।
  5. कल्याण हो।
  6. नव वर्ष की हार्दिक बधाई।
  7. तरक़्क़ी की हार्दिक बधाई।
  8. भगवान करे कि तुम सुखी वैवाहित जीवन बिताओ।
  9. चलो सैर करने चले।
  10.  भगवान तुम्हारा भला करे।

7-संकेतवाचक वाक्य:-जिन वाक्यों में एक बात या काम का होना दूसरी बात या काम के होने पर निर्भर करता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं।

उदाहरण ( Examples )

1-परिश्रम किया है, तो सफलता अवश्य मिलेगी।
2-यदि वर्षा होगी, तो फ़सल अच्छी होगी।
3-नौकरी मिल जाती तो संकट कट जाता।
4- बिजली आती तो कुछ दिखाई देता।

8-संदेहवाचक वाक्य:-जिन वाक्यों में संदेह का बोध होता है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।

उदाहरण ( Examples )

1-क्या वह यहाँ आ गया ?
2-क्या उसने काम कर लिया ?
3-शायद आज वर्षा आये।
4- शायद उसका चयन हो जाय।

2-रचना के आधार पर वाक्य भेद ( Rachna ke aadhar par vakya bhed )

रचना के आधार पर वाक्य के 3 भेद होते  हैं जो कि निम्न हैं-

(1)सरल वाक्य ( Saral vakya )

(2) संयुक्त वाक्य ( Sanyukt vakya )

(3) मिश्रित/मिश्र वाक्य ( Mishra vakya )

(1)सरल वाक्य ( Saral vakya ):- जिन वाक्यों में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय हो, उन्हें सरल वाक्य ( Saral vakya ) कहते हैं।

उदाहरण ( Examples )

1-सन्तोष बच्चों को पढ़ा रही है।
2-जया पैसे जमा कराने बैंक गयी।

विशेष-वाक्य में जिसके विषय में कहा जाता है, उसे उद्देश्यकहते हैं, उद्देश्य के दो अंग होते हैं-

(i) कर्ता

(ii) कर्ता का विस्तारक।

1-कर्ता-क्रिया के करने वाले को कर्ता कारक कहते हैं।
2-कर्ता का विस्तारक-वे शब्द जो कर्ता की विशेषता बतलाते हैं, उन्हें कर्ता का विस्तारक कहते हैं।

विधेय-उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, विधेय कहलाता है। विधेय के छ: अंग बतलाये गये हैं-
(i) क्रिया

(ii) क्रिया का विस्तारक

(iii) कर्म

(iv) कर्म का विस्तारक

(v) पूरक

(vi) पूरक का विस्तारक

(i) क्रिया-वाक्य में प्रयुक्त जिस शब्द से किसी कार्य का
करना या होना पाया जाता है। उसे क्रिया कहते हैं।
(ii) क्रिया का विस्तारक-वे शब्द जो वाक्य में प्रयुक्त
क्रिया की विशेषता बतलाते हैं, क्रिया के विस्तारक कहलाते हैं।
(iii) कर्म-वाक्य में जिस शब्द पर क्रिया का फल पड़ता
है, उसे कर्म कहते हैं।
(iv) कर्म का विस्तारक-वह शब्द जो वाक्य में प्रयुक्त
कर्म की विशेषता बतलाता है, कर्म का विस्तारक कहलाता है।
(v) पूरक-जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया अपूर्ण हो, तब क्रिया
के स्थान पर प्रयुक्त शब्द पूरक कहलाता है।
(vi) पूरक का विस्तारक-पूरक की विशेषता बतलाने वाला शब्द पूरक का विस्तारक कहलाता है।
आगरा का ताजमहल दर्शनीय स्थल हैं।
‘स्थल’ शब्द पूरक है तथा ‘दर्शनीय’ शब्द
Note-वाक्य में प्रयुक्त स्थल’ पूरक हैं तथा दर्शनीय शब्द स्थल पूरक की विशेषता बतलाने के कारण पूरक का विस्तारक है।

(2) संयुक्त वाक्य ( Sanyukt vakya ):-वे वाक्य जिनमें दो या दो से अधिक साधारण वाक्य या दो या दो से अधिक प्रधान उपवाक्य या दो या दो से अधिक समानाधिकरण उपवाक्य किसी समुच्चय बोधक अव्यय (और, तथा, एवं, या, अथवा, किन्तु, परन्तु, लेकिन, बल्कि, अतः आदि) से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य ( Sanyukt vakya ) कहते हैं।

उदाहरण ( Examples )

1-श्याम बाजार गया और आम लेकर आया।
2-भरत काम कर रहा है किन्तु नन्दू सो रहा है।
3-आप चाय लेंगे या आपके लिए खाना लगाऊँ।
4-बिजली चमक रही है और बादल गरज रहे हैं।

(3) मिश्रित/मिश्र वाक्य ( Mishra vakya ):- जिन वाक्यों में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हो, उन्हें मिश्रित/मिश्र वाक्य ( Mishra vakya ) कहते हैं।

उदाहरण ( Examples )
1. प्रधानाध्यापक जी ने कहा कि विद्यालय मैं कल अवकाश रहेगा।
2. कामायनी एक महाकाव्य है जो प्रसाद की रचना है।
3. जब तुम आये तब मैं सो रहा था।

प्रधान उपवाक्य-जो उपवाक्य पूरे वाक्य से अलग लिखा जा सके तथा जिसका अर्थ किसी दूसरे उपवाक्य पर निर्भर न रहे, अतः जो स्वतः पूर्ण उपवाक्य को प्रधान उपवाक्य कहते हैं। जो उपवाक्य प्रधान कर्ता एवं प्रधान क्रिया से बना होता है, उसे प्रधान उपवाक्य कहते हैं। उक्त वाक्यों में ‘प्रधानाध्यापक जी ने कहा‘, ‘कामायनी एक महाकाव्य है’ तथा ‘मैं सो रहा था‘ उपवाक्य प्रधान उपवाक्य हैं।

आश्रित उपवाक्य-जो उपवाक्य अपना स्वतंत्र अस्तित्व नहीं रखता बल्कि प्रधान उपवाक्य के आश्रित रहता है, उसे आश्रित उपवाक्य कहते हैं। उक्त वाक्यों में ‘विद्यालय में कल अवकाश रहेगा’, ‘जो प्रसाद की रचना है’ तथा ‘जब तुम आये’ उपवाक्य हैं। आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

(1) संज्ञा उपवाक्य (Noun Clause)

(ii) विशेषण उपवाक्य (Adjective Clause)

(iii) क्रिया विशेषण उपवाक्य (Adverbial Clause)

हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar ):- हिन्दी भाषा – वर्णमाला – विराम चिन्ह – कारक – अव्यय – अलंकार – सर्वनाम – संज्ञा – क्रिया – विशेषण – उपसर्ग – समास – रस – छंद – पदबंध – प्रत्यय – वचन – पर्यायवाची शब्द – विलोम शब्द – शब्द – मुहावरा – काल – अनेकार्थी शब्द – तत्सम तद्भव शब्द – क्रिया विशेषण – वाच्य – लिंग – निबन्ध लेखन – वाक्यांशों के लिए एक शब्द – संधि विच्छेद

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *